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जुलाई की निर्वाचित पुस्तक
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सप्ताह की पुस्तक
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प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ प्रेमचंद की तेरह कहानियों का संग्रह है जिसका प्रकाशन १९५० ई॰ में बनारस के सरस्वती-प्रेस द्वारा किया गया था। इस कहानी-संग्रह में––ईदगाह, जुलूस, दो बैलों की कथा, रामलीला, बड़े भाई साहब, नशा, लाग-डाँट, आत्माराम, प्रेरणा, सवा सेर गेहूँ, गुल्ली डंडा, लॉटरी तथा शतरंज के खिलाड़ी शीर्षक कहानियाँ शामिल हैं।


"रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है। पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गये हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जायेगा। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना भेंटना। दोपहर के पहले लौटना असंभव है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं; लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। ..."(पूरा पढ़ें)


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पूर्ण पुस्तक
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आग और धुआं चतुरसेन शास्त्री द्वारा रचित उपन्यास है। इसका प्रकाशन "प्रभात प्रकाशन", (दिल्ली) द्वारा १९७५ ई॰ में किया गया।

"इंगलैंड में आक्सफोर्डशायर के अन्तर्गत चर्चिल नामक स्थान में सन् १७३२ ईस्वी की ६ दिसम्बर को एक ग्रामीण गिर्जाघर वाले पादरी के घर में एक ऐसे बालक ने जन्म लिया जिसने आगे चलकर भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इस बालक का नाम वारेन हेस्टिंग्स पड़ा। बालक के पिता पिनासटन यद्यपि पादरी थे, परन्तु उन्होंने हैस्टर वाटिन नामक एक कोमलांगी कन्या से प्रेम-प्रसंग में विवाह कर लिया। उससे उन्हें दो पुत्र प्राप्त हुए। दूसरे प्रसव के बाद बीमार होने पर उसकी मृत्यु हो गई। पिनासटन दोनों पुत्रों को अपने पिता की देख-रेख में छोड़कर वहां से चले गए और कुछ दिन बाद दूसरा विवाह कर वेस्ट-इन्डीज में पादरी बनकर जीवनयापन करने लगे।"...(पूरा पढ़ें)


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सहकार्य

रचनाकार
रचनाकार

भारतीय डाक टिकट पर प्रेमचंद प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 — 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू के अत्यंत लोकप्रिय कथाकार एवं विचारक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. सेवासदन (1918), हिंदी में प्रकाशित पहला उपन्यास।
  2. प्रेमाश्रम (1922), किसान आंदोलन की महागाथा
  3. रंगभूमि (1931), मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित
  4. गबन (1931), साधारण स्त्री जालपा के अद्वितीय बनने की गाथा
  5. कर्मभूमि (1932), किसानों की लगान समस्या पर केंद्रित उपन्यास
  6. गोदान (1936), औपनिवेशिक चक्की में पिसते किसान जीवन की महागाथा
  7. पाँच फूल (1929), पाँच कहानियों का संग्रह
  8. नव-निधि (1948), नौ कहानियों का संग्रह
  9. प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (1950), कहानी संग्रह
  10. मानसरोवर १ तथा मानसरोवर २- कहानी संग्रह
  11. कुछ विचार — निबंध और व्याख्यान संग्रह।

आज का पाठ

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उत्तर-काल/बिहारी अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अंश है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।

"बिहारीलालका ग्रंथ व्रजभाषासाहित्य का एक अनूठा रत्न है और इस बात का उदाहरण है कि घट में समुद्र कैसे भरा जाता है । गोस्वामी तुलसीदास की रामायण छोड़ कर और किसी ग्रन्थ को इतनी सर्व-प्रियता नहीं प्राप्त हुई जितनी "बिहारी सतसई को"। रामचरित मानस के अतिरिक्त और कोई ग्रन्थ ऐसा नहीं है कि उसकी उतनी टीकायें बनी हों जितनी सतसई की अब तक बन चुकी हैं। बिहारी लाल के दोहाओं के दो चरण बड़े बड़े कवियों के कवित्तों के चार चरणों और सहृदय कवियों के रचे हुये छप्पयों के छः चरणों से अधिकतर भाव-व्यंजन में समर्थ और प्रभावशालिता में दक्ष देखे जाते हैं। एक अंग्रेज़ विद्वान् का यह कथन कि "Brevity is the soul of wit and it is also the soul of art' 'संक्षिप्तता काव्य चातुरी की आत्मा तो है ही, कला की भी आत्मा है।" बिहारी की रचना पर अक्षरशः घटित होता है।..."(पूरा पढ़ें)

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